⚜️सारे जहाँ से अच्छा⚜️

 ⚜️सारे जहाँ से अच्छा⚜️

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा । 
हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलसिताँ हमारा ॥धृ॥ 

गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में । 
समझों वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा ॥१॥ 

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का । 
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा॥२॥

 गोदी में खेलती हैं, जिसकी हजारों नदीयाँ । 
गुलशन है जिसके दम से, रश्के - जिनाँ हमारा ॥३॥ 

ए आबे-रुदे-गंगा, वो दिन है याद तुझको । 
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा॥४॥ 

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना । 
हिंदी है हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा ॥५॥ 

 युनान-ओ-मिस्त्रो रोमा, सब मिट गये जहाँ से । 
अब तक मगर है बाकी, नामोनिशाँ हमारा ॥६॥ 

कुछ बात है की हस्ती, मिटती नही हमारी । 
सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जमाँ हमारा॥७॥ 

 इकबाल कोई मरहम, अपना नहीं जहाँ में । 
मालूम क्या किसी को दर्दे-निहाँ हमारा॥८॥ 
                      -मुहम्मद इकबाल

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