⚜️असंतुष्ट मन⚜️
वह सर्दी का दिन था। एक गधा ठंड से तड़प रहा था और जब उसे खाने के लिए बासी घास मिल रही थी, तो उसने सोचा कि गर्मी के दिन बेहतर हैं। हमें गर्मी पसंद नहीं थी लेकिन वे दिन इस सर्दी से बेहतर थे। हवा गर्म थी और घास ताजी थी। ये विचार गधे के मन में आए, उसी दिन उसके मालिक ने उसे अस्तबल से बांध दिया और उसे ताजी घास खिलाई। कई दिनों तक उसे मौके पर ताजी घास मिली, बदले में मालिक ने उससे बहुत काम लिया। अब वह सर्दी से थक गया और मानसून का इंतजार करने लगा।
जल्द ही बरसात का मौसम आ गया। हिरण को पहली बारिश हुई और उसके मालिक ने गधे से चार महीने तक खेत की मेहनत करनी शुरू कर दी। तब गधे को लगा कि सर्दी बेहतर है, यानी पिछला सीजन आने वाले सीजन से बेहतर था।
सीख:- दिन कोई भी हो, असंतुष्ट मन का मन कभी संतुष्ट नहीं होता।