⚜️ज्योत से ज्योत ⚜️
ज्योत से ज्योत जगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आये जो दीन दुखी
सब को गले से लगाते चलो ॥धृ॥
जिसका न कोई संगी-साथ ईश्वर है रखवाला
जो निर्धन है, जो निर्गुण है वो हे प्रभू का प्यारा
प्यार के मोती लुटाते चलो,
प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥१॥
आशा टुटी ममता रूठी छूट गया है किनारा
बंद करो मत द्वार दया का दे दो 'कुछ तो सहारा
दीप दया का जलाते चलो,
प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥२॥
छाया है चारों ओर अंधेरा भटक गई है दिशाएँ
मानव बन बैठा है दानव किसको व्यथा सुनाएँ
धरती को स्वर्ग बनाते चलो,
प्रेम की गंगा बहाते चलो ॥३॥
- भरत व्यास