घायल कुत्ता और फकीर
एक बार एक फकीर हज यात्रा के लिए जा रहा था तो उसने
रास्ते में एक कुत्ते को जख्मी हालत में देखा| उसके चारों पांव पर से गाड़ी
गुजर गई थी| और
वह चल नहीं सकता था| फकीर
को रहम आ गया, लेकिन
उसने सोचा कि मैं तो काबे को जा रहा हूं| इसलिए इसको कहां लिए फिरूंगा| फिर
फकीर को ख्याल आया कि लेकिन इसका यहां कौन है? कौन इसकी मदद करेगा? और
फकीर के मन में दया आ गई|
फकीर ने कुत्ते को किसी कुए पर ले जाने के लिए उसे उठा
दिया ताकि पानी से उसके जख्मों को धो कर उस पर पट्टी बांध दें|
फकीर को इस बात की भी चिंता नहीं थी कि कुत्ते के जख्मों
से बहुत खून बह रहा है और उसके कपड़े खराब हो जाएंगे। उस समय वह एक रेगिस्तान से
गुजर रहा था| वहां
उसने एक वीरान कुआं देखा|
परंतु उस कुवे से पानी निकालने के लिए कोई रस्सी या डोल
वगैरह नहीं था| उसने
दो चार पत्ते इकट्ठे करके एक दोना बनाया| अपनी पगड़ी से बांधकर उसे कुएं से लटकाया| पानी, कुएं
में बहुत नीचे था|
दोना वहां तक पहुंच नहीं सका| उसने साथ में अपनी कमीज बांध
दी, लेकिन
दोना फिर भी पानी की सतह तक नहीं पहुंच पाया| उसने इधर उधर देखा लेकिन कोई
नजर नहीं आया| फिर
उस फकीर ने अपनी सलवार उतार कर बांध दी| तब वह दोनों पानी तक पहुंच गया| उसने
दो चार दोने भरकर कुत्ते को पिलाये|पानी पीते ही कुत्ते को होश आ गया| फकीर
ने कुत्ते के जख्मों को भी पानी से धोकर साफ कर दिया और कुत्ते को उठाकर चल दिया| रास्ते
में एक मस्जिद थी| उस
फकीर ने मुल्ला जी से कहा कि तुम इस कुत्ते का ख्याल रखना| मैं काबे को जा रहा हूं| आकर
इसे ले लूंगा| रास्ते
में जाते जाते उसको रात हो गई|
जब वह रात को सोया तो एक आकाशवाणी हुई:-”
ऐ नेक फकीर! तेरा हज कुबूल हो गया है| अब चाहे तुम हज पर जाओ या मत जाओ यह तुम्हारी
मर्जी है”|
सीख:- बेजुबान जानवर भी उस खुदा ने ही बनाए हैं, उनकी
रक्षा करना बहुत ऊंची गति की बात है|