⚜️अनुकूलता⚜️

 ⚜️अनुकूलता⚜️

   एक गोसावी जंगल से होते हुए अपनी गुफा की ओर जा रहा था।  रास्ते में उसने एक भालू को भौंकते देखा।  गोसावी उसके पास गया, उसने देखा, भालू के पैर में एक कांटा फंसा हुआ है।  जब उसने उसे बाहर निकाला, तो भालू ने कहा, "महाराज, आपने मुझे दर्द से मुक्त करके बहुत बड़ा उपकार किया है। मुझे अपने साथ रहकर और आपकी सेवा करके इसे चुकाने का मौका दें।" गोसावी ने कहा, "ओह, मैं कोई उपकार नहीं किया, यह मेरा धर्म है।  हालांकि भालू ने अपनी जिद नहीं छोड़ी।  अंत में गोसावी उसे अपने साथ गुफा में ले गया।  
       जब गोसावी आराम करने के लिए लेटा, तो उसके मुँह पर मक्खियाँ बैठी थीं।  गोसवी की सेवा करने के लिए, उन्होंने मक्खियोंको मारना और उनका पीछा करना शुरू कर दिया।  लेकिन एक साहसी मक्खी बार-बार गोसावी की नाक पर उतरती रही।  मक्खी पर क्रोधित भालू ने अपने पंजे से मक्खी को इतनी जोर से मारा कि मक्खी कुचल गई, लेकिन गोसवी की नाक भी टूट गई और उसका चेहरा विकृत हो गया!

 सीख:- बुद्धिमानों का दास बनना, पर मूढ़ का स्वामी नहीं होना।कभी-कभी अच्छी संगत का अलग प्रभाव होता है।